अपना लेख
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आजु बहुतई हिचकियाँ अउती हईं ।
तुम काहे इत्तो यादि करती हउ,
मनियत की मजबूरी हईं,
यादि करिबो जरूरी हईं,
अइसे नाई यादि करा करउ,
आजु बहुतई हिचकियाँ अउती हईं ।
अइसे नाई दिलु धड़काउ करउ,
दिलु मचलि जाति हई,
मनु भटकि जाति हई,
थोरो अपना-काजे समुझाउ करउ,
आजु बहुतई हिचकियाँ अउती हईं ।
थोरी हमरिउ परेशानी समुझउ करउ,
नम्बरू तुमरे पासि हई,
फोनु नाई सही ताऊ नाई,
फेसबुकई परिहां मैसिजु करि देउ करउ,
आजु बहुतई हिचकियाँ अउती हईं ।
By:-राघवेन्द्रसिंह
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