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उसमे कुछ तो खाश है कि ….

अपना लेख
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“उसमे कुछ तो खाश है,
उसमे कुछ तो खाश है कि
नज़रे खुद उसकी और खिची चली जाती और वो है की मीठी मुस्कान के साथ नज़रे झुका के पास से गुजर जाती
दोड़ती है निगाहें उसकी खोज मेंदोड़ती है निगाहें उसकी खोज में;
और शरीर मे एक अजब सी उमंग है भर जातीवो शायद दिल को मेरे है भाती;
दिल को मेरे है भाती
वरना युहीं नही किसी से नजरे टकराती अनजान होती अगर;
अनजान होती अगर
वो मेरी नजरों के लिए तो यूँ एक रिश्ते की शुरवात न होती
और युहीं भरी भीड़ मे एक से ही रोज आँखे चार ना होती
हम नहीं चाहते की ये सिलसिला रोज ऐसे ही चलेहम नहीं चाहते की ये सिलसिला रोज ऐसे ही चले काश वो मेरी हो जाती;
काश वो मेरी हो जाती
बना लेती मुझे अपना हमसफ़रबना लेती मुझे अपना हमसफ़र और मेरी वो रानी बन जाती ”

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